नयी दिल्ली (भाषा) - केंद्र सरकार ने अपने सभी उपक्रमों को 15 अक्टूबर तक ठेकेदारों और आपूर्तिकताओं का सारा बकाया निपटाने का शनिवार को निर्देश दिया। सरकार सार्वजनिक खर्च बढ़ाकर आर्थिक वृद्धि की रफ्तार को छह साल के निचले स्तर से उबारने की कोशिश कर रही है।
वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने यहां 32 महारत्न एवं नवरत्न केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रमों के प्रमुखों के साथ बैठक कर पूंजीगत खर्च के कार्यक्रमों की समीक्षा की। वित्त मंत्री ने कहा कि सार्वजनिक कंपनियों को 15 अक्टूबर तक एक पोर्टल बनाने के लिये कहा गया है जहां सेवा प्रदाता, आपूर्तिकर्ता और ठेकेदार अपने बिलों तथा भुगतान की स्थिति को देख सकेंगे। इसके साथ ही सार्वजनिक उपक्रमों को आपूर्तिकर्ताओं व ठेकेदारों के साथ ऐसे कानूनी विवादों की समयावधि की जानकारी भी पोर्टल पर मुहैया कराने के लिये कहा गया है जिनके कारण भुगतान रुका है।
सार्वजनिक कंपनियों को अगली चार तिमाही में किये जाने वाले खर्च की योजना भी सौंपने को कहा गया है। उन्होंने कहा, ‘‘रिजर्व बैंक, वित्त सचिव तथा चुनिंदा केंद्रीय उपक्रमों के साथ बैठक की जाएगी। बैठक में इस बात पर चर्चा की जाएगी कि पंचनिर्णयों के बाद तय राशि का 75 प्रतिशत तक के भुगतान करने में सरकार के सामने बैंक गारंटी बड़ी दिक्कत क्यों बन जाती है। यदि यह मामला है तो मुझे रिजर्व बैंक की भी मदद चाहिये।’’
वित्तमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि अगली दो तिमाहियों में पूंजीगत खर्च बढ़ाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि केंद्रीय उपक्रमों को नियमित भुगतान को तेजी से निपटाना सुनिश्चित करना चाहिये क्योंकि यह निवेश चक्र को तेज करता है। उन्होंने कहा कि केंद्रीय उपक्रमों को ई-बिलिंग पोर्टल बनाने पर भी ध्यान देना चाहिये ताकि संबंधित पक्ष भुगतान की स्थिति जान सकें।
सीतारमण ने कहा कि एमएसएमई का बकाया निपटाने तथा एमएसएमई विभाग के समाधान पोर्टल पर मामलों का हल निकालने पर भी विशेष ध्यान देने की जरूरत है। वित्त सचिव राजीव कुमार ने कहा कि 34 केंद्रीय उपक्रम पहले ही अगस्त तक 48,077 करोड़ रुपये खर्च कर चुके हैं। केंद्रीय उपक्रम दिसंबर 2019 तक 50,159 करोड़ रुपये और चौथी तिमाही में 54,700 करोड़ रुपये खर्च करेंगे।
उन्होंने कहा कि व्यय योजना पटरी पर है और चालू वित्त वर्ष में तय लक्ष्य को पा लिया जाएगा। व्यय सचिव गिरीश चंद्र मुर्मू ने कहा कि सभी 242 केंद्रीय उपक्रमों का पूंजीगत खर्च चार लाख करोड़ रुपये से अधिक होगा।
उन्होंने कहा कि कुछ एजेंसियों ने सरकार से विस्तृत बजटीय मदद की मांग की है। जब संशोधित आकलन को लेकर बैठक होगी, इस बारे में निर्णय लिया जाएगा।
मुर्मू ने बकाया भुगतान के बारे में कहा कि कुल 60 हजार करोड़ रुपये में से 55 हजार करोड़ रुपये का भुगतान किया जा चुका है। उन्होंने कहा कि इस बात को लेकर सारे प्रयास किये जा रहे हैं कि निवेश पटरी पर रहे तथा तरलता का संकट नहीं हो।
भारत में सरकारी एजेंसियां कुल सकल घरेलू उत्पाद के 20 से 22 प्रतिशत तक खरीद करती है। भारत का सकल घरेलू उत्पाद 2,700 अरब डालर का है । इस तरह सरकारी खरीद वार्षिक 500 अरब डालर से अधिक बनती है। सरकारी खरीद में केंद्रीय लोक उपक्रमों का बड़ा योगदान होता है।
बैठक में शामिल केंद्रीय उपक्रमों ने वित्तमंत्री को अगस्त 2019 तक किये गये खर्च की जानकारी दी। उपक्रमों ने अगली दो तिमाही की खर्च की योजना से भी वित्तमंत्री को अवगत कराया। उदाहरण के लिये, ओएनजीसी की 2019-20 में 32,921 करोड़ रुपये के पूंजीगत खर्च की योजना है। कंपनी अगस्त 2019 तक 8,777 करोड़ रुपये खर्च कर चुकी है जो कुल नियोजित खर्च का 26.66 प्रतिशत है।