बैडमिंटन कोर्ट से लेकर बॉलीवुड तक, दीपिका पादुकोण ने हर जगह खुद को साबित किया है। फिल्मों में भी चाहे ग्लैमरस रोल हों या संजीदा किरदार, दीपिका ने पूरी शिद्दत और प्रभावी ढंग से उन्हें निभाया है। अब वह निर्माता भी बन गई हैं, इसकी शुरुआत उन्होंने गंभीर मुद्दे पर बनी ‘छपाक' जैसी फिल्म से की है।
ईमानदारी से कहूं तो मेरे लिए सुपरहिट फिल्म वही है, जो लोगों की जिंदगी में कुछ बदलाव ला सके, जिससे लोग कुछ अच्छा करने को प्रेरित हो सकें। मेरे लिए सफलता का पैमाना बॉक्स ऑफिस पर कमाई नहीं है, बल्कि वह है, जिससे मैं अपनी फिल्मों से कुछ लोगों का नजरिया बदल सकूं। मैं जानती हूं कि हर फिल्म ऐसा नहीं कर सकती, क्योंकि कुछ फिल्में सिर्फ मनोरंजन के लिए होती हैं और यह अच्छा भी है। लेकिन अभी मेरा मानना है कि अगर आपकी फिल्म को 10 साल बाद भी लोग याद रखें और मैं 10 साल बाद भी उसे देखना चाहूं, तो वही असली सुपरहिट फिल्म होगी।
सिनेमा सबसे ज्यादा पावरफुल मीडियम है। इससे युवा वर्ग सीधे जुड़ता है और इसका प्रभाव भी युवाओं पर सबसे ज्यादा पड़ता है। कई बार इसका अच्छा प्रभाव पड़ता है और कई बार बुरा प्रभाव भी पड़ता है। मैं यह नहीं कहती कि इसकी शक्ति का पता मुझे मेरे करियर के शुरुआती दिनों में ही हो गया था, लेकिन जैसे-जैसे मैंने इंडस्ट्री में काम किया, वैसे-वैसे मैंने जाना कि सिनेमा का अगर सही मायनों में इस्तेमाल हो, तो वह कितना असरदार हो सकता है।
इस पर सभी की अलग-अलग राय है। कुछ लोग मानते हैं कि अगर आप गंभीर मुद्दों पर फिल्में बनाएंगे तो वे नहीं चलेगी, लेकिन ऐसा नहीं है। गंभीर विषयों को लेकर भी ऐसी फिल्में बनाई जा सकती हैं, जो थिएटर में दर्शकों को अपनी कहानी से बांधे रखें। पहले भी कई ऐसी फिल्में आई हैं, जिनमें गंभीर विषयों को उठाया गया था, उसके बाद भी लोगों ने उन्हें पसंद किया। इसलिए मेरा मानना है कि फिल्म का विषय नहीं, बल्कि उसे कैसे दिखाया गया है, यह मायने रखता है।
मेरे करियर के लिए वह फिल्म ‘छपाक' है। एक कलाकार होने के नाते हम कई फिल्में करते हैं, लेकिन बहुत कम फिल्में ऐसी होती हैं, जो आपको प्रेरणा देती हैं, आपके अंदर बस जाती हैं। मैं इस दौरान लक्ष्मी और ऐसी कई लड़कियों से मिली, जिनसे मिलने के बाद जिंदगी को लेकर मेरा नजरिया बदल गया।
इसका जवाब आपको छपाक का पोस्टर देख कर मिलेगा। उसमें जो ‘का प्रोडक्शन' लिखा है हुआ है, वह मेरा ही है। ‘का' का मतलब है आत्मा, यानी आपके खत्म हो जाने के बाद भी जो खत्म नहीं होता। मैंने अभी अभी एक निर्माता के तौर पर अपना सफर शुरू किया है, तो मेरी यह कोशिश रहेगी कि जैसे मैंने एक अभिनेत्री के तौर पर काम किया है, वैसे ही मैं एक निर्माता के तौर पर भी काम कर पाऊं।