नयी दिल्ली (भाषा) - मधुमक्खीपालन विकास समिति ने आगामी बजट में मधुमक्खी पालन क्षेत्र के लिये 200 करोड़ रुपये का मूल्य स्थिरीकरण कोष बनाने और मधुमक्खी पालकों को किसान का दर्जा देने की मांग की है। समिति ने भूमिहीन मधुमक्खी पालकों को किसान क्रेडिट कार्ड सुविधा मुहैया कराने की भी सिफारिश की है। समिति ने कहा है कि मधु मूल्य स्थिरीकरण कोष से बाजार टूटने की स्थिति में किसानों के नुकसान की कुछ भरपाई की जा सकती है।
समिति की राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य देवव्रत शर्मा ने भाषा से कहा, ‘‘किसानों की आय दोगुनी करने के उपायों के तहत मधुमक्खीपालन को प्रोत्साहित करने संबंधी सिफारिशें देने के लिए सरकार ने मधुमक्खी पालन विकास समिति का गठन किया था। समिति जून 2019 में सरकार को अपनी सिफारिशें सौंप चुकी है। सिफारिशों को अमल में लाने के लिए आम बजट में समुचित प्रावधान किये जाने चाहिये।’’
शर्मा ने कहा कि मधुमक्खी उत्पादों के क्षेत्र में भारत छठे स्थान पर है। मधुमक्खीपालन विकास समिति (बीडीएस) के सुझावों पर अमल से देश पहले पायदान पर पहुंच सकता है। समिति ने सड़कों, रेल मार्ग और नदियों के किनारे ऐसे पौधे लगाने का सुझाव दिया है जिनसे पूरे साल मधुमक्खियों को फूलों का रस मिलता रहे। शर्मा ने कहा कि शहद और मधुमक्खीपालन प्रक्रिया के दौरान पैदा होने वाले अन्य उत्पादों जैसे परागकण या पोलन, रॉयल जैली, मोम, प्रोपोलिस, डंक इत्यादि के निर्यात से देश को साल में लगभग 1,200 करोड़ रुपये की विदेशीमुद्रा की आय होती है, इसे और बढ़ाया जा सकता है।
वर्ष 2018-19 में एक लाख 15 हजार टन शहद का उत्पादन हुआ जिसमें से करीब 62 हजार टन का निर्यात किया गया। समिति ने शहद और इससे जुड़े अन्य उत्पादों की गुणवत्ता परखने के लिए विश्व स्तरीय जांच प्रयोगशालायें स्थापित करने की भी सिफारिश की है ताकि निर्यात में आने वाली शिकायतों को दूर किया जा सके।