देश के सभी सहकारी बैंकों का नियमन अब केंद्रीय रिजर्व बैंक के दायरे में होगा। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार (5 फरवरी) को इस बारे में अहम फैसला किया है। बैंकिंग नियमन कानून में संशोधन के लिए दो-तीन दिन में संसद में विधेयक लाया जाएगा। इसमें सहकारी बैंकों के बैंकिंग से जुड़े कामकाज रिजर्व बैंक के दायरे में आ जाएंगे, जबकि प्रशासनिक कामकाज पहले की तरह कोऑपरेटिव सोसाइटीज एक्ट के तहत बने रहेंगे।
मंत्रिमंडल बैठक के बाद सूचना प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने बताया कि बैठक में इस बाबत जरूरी विधेयक के मसौदे को मंजूरी दी गई। जमाकर्ताओं के हितों की रक्षा के लिए सहकारी बैंकों का नियमन आरबीआई के दायरे में लाया जा रहा है। इसके बाद केंद्रीय बैंक के बैंकिंग संबंधी सभी दिशा-निर्देश सहकारी बैंकों पर भी लागू होंगे।
सहकारी बैंकों का पदाधिकारी बनने के लिए न्यूनतम अर्हता तय होगी, जबकि मुख्य कार्यकारी अधिकारी तथा शीर्ष अधिकारियों की नियुक्ति के लिए पूर्वानुमति की आवश्यकता होगी। ऋण माफी के लिए भी सहकारी बैंकों को आरबीआई के दिशा-निदेर्शों का पालन करना होगा। उनका भी ऑडिट किया जाएगा।
1540 सहकारी बैंक : देश में विभिन्न श्रेणियों के 1540 सहकारी बैंक हैं। इनमें आठ करोड़ 40 लाख खाताधारकों के पांच लाख करोड़ रुपए से ज्यादा जमा हैं। अधिकतर बैंक ईमानदारी से काम करते हैं, लेकिन कुछ बैंकों के गलत काम के कारण सबकी छवि खराब होती है।
जमा पर पांच लाख रुपये तक की गारंटी : आरबीआई के दायरे में आने के बाद सहकारी बैंकों के खाताधारकों को भी जमा पर पांच लाख रुपए तक की गारंटी मिल सकेगी। बैंक में गड़बड़ी की बात सामने आने पर रिजर्व बैंक को उसका प्रबंधन अपने हाथ में लेने का अधिकार होगा। आरबीआई चरणबद्ध तरीके से इसे लागू करेगा।