- by Super Admin
- Jun, 13, 2024 21:15
नई दिल्ली : झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के पूर्व अध्यक्ष और लोकसभा सदस्य सुखदेव भगत ने शुक्रवार को कहा कि झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के नेता हेमंत सोरेन को ‘फर्जी मामले में फंसाकर’ उनके साथ जो सुलूक किया गया है उसका बदला आगामी विधानसभा चुनाव में प्रदेश की जनता वोट के माध्यम से लेगी। उन्होंने यह भी कहा कि लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने जिस तरह से ‘संविधान बचाने’ की बात की है उसका असर भी झारखंड विधानसभा चुनाव में देखने को मिलेगा।
झारखंड में इस साल के आखिर में विधानसभा चुनाव प्रस्तावित हैं। राज्य में फिलहाल झामुमो, कांग्रेस, राष्ट्रीय जनता दल और वाम दलों के गठबंधन वाली सरकार है। झारखंड के लोहरदगा से सांसद भगत ने ‘पीटीआई-भाषा’ के साथ बातचीत में कहा, 2019 के लोकसभा चुनाव में हमारे गठबंधन को दो सीट मिली थीं और इस बार हमें पांच सीट मिलीं। हमारी अपेक्षाएं इससे ज्यादा सीटों की थीं। हम आदिवासी बहुल पांच की पांच सीट जीते हैं विधानसभा चुनाव में भी हम बेहतर प्रदर्शन करेंगे और फिर से जीतेंगे।
आदिवासी क्षेत्रों में पड़ा सोरेन की गिरफ्तारी का असर
भगत ने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी का असर आदिवासी क्षेत्रों में पड़ा और यही कारण है कि आदिवासी इलाकों की सभी लोकसभा सीटें विपक्षी गठबंधन ‘इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस’ (‘इंडिया’) ने जीती हैं। उन्होंने दावा किया कि सोरेन को मनगढ़ंत और फर्जी मामले में फंसाया गया।
उन्होंने कहा, एक आदिवासी मुख्यमंत्री (सोरेन) के साथ जिस तरह का सुलूक किया गया, उसका बदला झारखंड की जनता अवश्य लेगी। लोगों ने भाजपा को वोट के माध्यम से सबक सिखाने का मन में ठान रखा है। उन्होंने यह भी कहा, राहुल गांधी ने जिस तरह से संविधान बचाने की बात की है उसका असर भी हुआ है राहुल जी आदिवासियों को आदिवासी कहते हैं और भाजपा उन्हें वनवासी कहती है। इसका भी असर होगा।
सुखदेव भगत का दावा
भगत ने दावा किया कि भाजपा नेतृत्व को अपने प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी पर विश्वास नहीं है, इसलिए केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान और असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा को चुनाव का प्रभार सौंपा गया था। उन्होंने कहा कि अपने पहले के भाजपा विरोधी बयानों और फिर से भाजपा में शामिल होने के बाद बाबूलाल मरांडी अपनी विश्वसनीयता खो चुके हैं। कांग्रेस सांसद ने कहा कि आदिवासी समुदाय की ‘सरना’ धर्म को अलग से मान्यता दिए जाने की मांग भी बड़ा मुद्दा है और यह मांग पूरी की जानी चाहिए।