Monday, Jul 15, 2024

जानिए कैसे हुआ मां बगलामुखी का जन्म: ऐसे करें इनकी पूजा, बनी रहेगी आप पर मां की कृपा


हिंदु धर्म में मां बगलामुखी को काफी पूजा जाता है। देवी बगलामुखी 10 महाविद्याओं में से एक, आंठवी महाविद्या के रुप में माना जाता है। वे पूर्ण जगत की नियंत्रण, निर्माता और संहारकर्ता है। हिंदु में ऐसी मान्यता है कि देवी मां की पूजा करने से भक्तों को शत्रुओं से विजय प्राप्त करने की शक्ति मिलती है और साथ ही अनेक बाधाओं से मुक्ति भी प्राप्त होती है। मां बगलामुखी को बगला, पीतांबरा, वल्गामुखी, बगलामुखी, ब्रह्मास्त्र विद्या व आदि नामों से पुकारा जाता है। आज हम इस लेख में मां बगलामुखी की उत्पत्ति कैसे हुई इसकी कथा बताने वाले हैं। अगर आपको भी यह कथा जाननी है तो लेख के अंत तक बने रहें। 


मां बगलामुखी की उत्पत्ति की कथा

हिंदु धर्म और पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक बार सतयुग काल में धरती पर भारी बाढ़ और तूफान से सबकुछ नष्ट होने लगा। जिसे देखकर भगवान विष्णु चिंतित में आ गए और भगवान शिव के पास जा पहुंचे। जब भगवान विष्णु ने भगवान शिव को सारी गाता बताई तो भगवान शिव ने बड़े शांत मन से कहा कि इस समस्या को केवल जगत जननी आदिशाक्ति ही समाप्त कर सकती है। जिसके बाद भगवान विष्णु ने देवी मां की कठोर तपस्या की, यह सब देखकर मां जगदंबा प्रसन्न हुई और सौराष्ट्र क्षेत्र की हरिद्रा झील में मां बगलामुखी के रुप में प्रकट हुई। जिसके बाद उन्होंने समस्त प्रणियों की रक्षा की और धरती को ब्रह्मांडीय विनाश से बचाया। इन सब के बाद से मां बगलामुखी की बड़ी श्रद्धा से पूजा की जाती है। 


ऐसे करें मां बगलामुखी को प्रसन्न

हिंदु धर्म और शास्त्रों के मुताबिक मां बगलामुखी को प्रसन्न करने और उनकी कृपा पाने के लिए साधक सुबह जल्दी उठकर पवित्र स्नान करें। इसके बाद पूजा शुरु करने से पहले पीले रंग का वस्त्र धारण करें और उनकी वेदी पर पीले रंग का कपड़ा बिछाएं। इन सब के बाद मां बगलामुखी की प्रतिमा व यंत्र स्थापित करें। इनकी प्रतिमा के सामने देसी घी का दीपक जलाएं और उन्हें पीले वस्त्र, पीली मिठाई और पीले फूल अर्पित करें। मां बगलामुखी की पूजा करने से बुरी शक्ति और नकारात्मक ऊर्जा दूर रहती है।  

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जानिए कैसे हुआ मां बगलामुखी का जन्म: ऐसे करें इनकी पूजा, बनी रहेगी आप पर मां की कृपा

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