- by Super Admin
- Jul, 15, 2024 08:05
इस्लामिक धर्म में मोहर्रम बेहद ही खास होता है। इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार मोहर्रम साल का पहला महीना होता है जो 7 जुलाई से शुरु हो चुका है। वहीं मोहर्रम की दसवीं तारीख जिसे आशूर कहते हैं यह दिन मुस्लमानों के लिए बेहद ही खास और पवित्र होता है। मुस्लिम समुदाय इस दिन हजरत इमाम हुसैन की शहादत के रुप में मातम के तौर पर मानते हैं। इस दिन वह देशभर में जुलुस निकालते हैं। आइए फिर इस खास दिन के बारे में विस्तार से जानते हैं, मुस्लमानों के लिए क्यों खास होती है मोहर्रम की 10वीं तारीख।
क्यों खास होती है मोहर्रम की दसवीं तारीख
ये बात तो आप सभी जान चुके हैं कि मोहर्रम की दसवीं तारीख को आशूर कहते हैं, जो 16 या 17 जुलाई को है। इस दिन देशभर में स्कूल और सरकारी नौकरीयों की छुट्टी होती है। मोहर्रम के दसवें दिन को गम के रुप में मनाते हैं, जिसे यौमे आशूरा भी कहते हैं। यह एक साधारण तारीख नहीं है, इस दिन हजरत इमाम हुसैन की शहादत हुई थी। उन्हीं की याद में यह दिन मनाया जाता है। दरअसल, हजरत इमाम हुसैन अपने 72 साथियों के साथ मोहर्रम माह के दसवें दिन कर्बला के मैदान में शहीद हुए थे। हजरत की इस कुर्बानी को याद करते हुए मुस्लमान इस खास दिन को मानते हैं और इसका जुलुस निकालते हैं। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि इस्लाम कैलेंडर में 12 माह में से 4 माह सबसे खास होते हैं जिसमें ज़ुल, कंदाह, ज़ुल-हिज्जा और मोहर्रम शामिल है। इस माह में मुस्लमान में हर एक दिन सवाब पाने का असर सबसे ज्यादा होता है और वह इस दौरान दान काफी अधिक करते हैं। मुस्लामानों के मान्यतों के अनुसार इन माह में अल्लाह की दया और कृपा पाने का सबसे अच्छा होता है।