- by Super Admin
- Jul, 15, 2024 06:28
हिंदु धर्म में एकादशी का व्रत काफी खास माना जाता है क्योंकि यह व्रत भगवान विष्णु के लिए रखा जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की विधि विधान से पूजा अर्चना की जाती है। एकादशी का व्रत हर महीने में दो बार आता है, जिसमें लोग भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की उपासना करते हैं जिसको करने से लोगों का जीवन खुशहाल और समृध्दि रहता है। साथ ही घर में सुख-शांति बनी रहती है। बता दें कि यह व्रत चार प्रकार के होते हैं, तो जानते हैं एकादशी के चारों प्रकार के व्रत के बारे में।
एकादशी व्रत के प्रकार
हिंदू पञ्चाङ्ग की ग्यारहवीं तिथि को एकादशी कहते हैं, यह व्रत हर महीने में दो बार होता है एक शुक्ल पक्ष में और दूसरा कृष्ण पक्ष में। पूर्णिमा से आगे आने वाली एकादशी को कृष्ण पक्ष एकादशी कहते हैं, वहीं अमावस्या के उपरान्त आने वाली एकादशी को शुक्ल पक्ष की एकादशी कहते हैं। हिंदु शास्त्रों के मुताबिक इस व्रत को चार प्रकार से रखा जाता है। आइए फिर उन चारों प्रकार को विस्तार से समझते हैं।
जलाहर: एकादशी व्रत में जलाहर व्रत में सिर्फ जल का ही ग्रहण किया जाता है, जिसे जलाहर एकादशी व्रत कहते हैं। अगर कोई इस व्रत का संकल्प लेता है तो उसे इसे पूरा करना होगा।
फलाहारी: फलाहारी का अर्थ, केवल व्रत में फल का सेवन करना। एकादशी में जो कोई फलाहारी का संकल्प लेता है उसे केवल फल का ही सेवन करना होता है।
क्षीरभोजी: एकादशी में क्षीरभोजी व्रत उसे कहते हैं जिसनें केवल दूध या उसे बनी चीज़ो का सेवन करना होता है। क्षीरभोजी एकादशी व्रत में जातक दूध और दूध से बनी चीज़ो को ही ग्रहण करना होता है।
नक्तभोजी: नक्तभोजी एकादशी व्रत में सूर्यास्त से पहले फलाहार को ग्रहण करना नक्तभोजी एकादशी व्रत कहलाता है। इस व्रत में सिंघाड़ा, मूंगफली, शकरकंदी और आलू शामिल होते हैं।
देवशयनी एकादशी 2024
साल 2024 में देवशयनी एकादशी व्रत 17 जुलाई को है। यह हर साल आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष में आता है। माना जाता है इस भगवान विष्णु पूरे चार महीने के लिए क्षीरसागर में योग निद्रा के लिए चले गए थे और देवउठनी एकादशी के दिन जागे थे। बता दें कि एकादशी के दिन आहार में गेंहू, चावल और दालों का सेवन नहीं करते हैं।