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टाटा ग्रुप-मिस्त्री विवादः एनसीएलएटी के फैसले के बाद सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई आज

January 10, 2020 10:38 AM

नई दिल्ली -टाटा समूह और साइरस मिस्त्री विवाद पर एनसीएलएटी के फैसले पर आज सुप्रीम कोर्ट सुनवाई करेगा। रतन टाटा और साइरस मिस्त्री का विवाद लगातार बढ़ता ही जा रहा है। रतन टाटा ने एनसीएलएटी के उस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है जिसमें साइरस मिस्त्री को दोबारा से टाटा संस का एग्जीक्यूटिव बनाने का आदेश दिया गया है। राष्ट्रीय कंपनी विधि अपीली न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) के साइरस मिस्त्री को टाटा ग्रुप के चेयरमैन के तौर पर बहाल करने के आदेश को चुनौती देने वाली टाटा संस प्राइवेट लिमिटेड की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट आज (10 जनवरी) को सुनवाई करेगा।

शीर्ष कोर्ट की वेबसाइट पर मामलों की सूची के अनुसार, मामले को प्रधान न्यायाधीश एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली तीन न्यायाधीशों की पीठ के समक्ष सूचीबद्ध किया गया है। इस पीठ में न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति सूर्यकांत भी शामिल हैं। सुप्रीम कोर्ट आज टाटा समूह के पूर्व प्रमुख साइरस मिस्त्री की याचिका पर सुनवाई करेगा। टीएसपीएल ने एनसीएलएटी के 18 दिसंबर 2019 के फैसले को चुनौती दी है। यह फैसला मिस्त्री के पक्ष में है और उन्हें टीएसपीएल के कार्यकारी चेयरमैन के तौर पर बहाल किया गया है। टाटा ने अपनी याचिका में कहा कि यह आदेश कॉरपोरेट लोकतंत्र व बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स के अधिकारों को भी कमजोर करता है।

गौरतलब है कि राष्ट्रीय कंपनी विधि अपीली न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) ने बीते 18 दिसंबर 2019 को दिए अपने आदेश में साइरस मिस्त्री को टाटा संस के कार्यकारी चेयरमैन पद पर फिर से बहाल किए जाने का आदेश दिया था। फैसले में एन चंद्रशेखरन की नियुक्ति को कंपनी के कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में अवैध करार दिया गया था। एनसीएलएटी के फैसले के बाद ही साइरस मिस्त्री ने कहा था कि टाटा समूह में किसी भी भूमिका में लौटने में उनकी कोई रुचि नहीं है। हालांकि, NCLAT के फैसले को टाटा संस व समूह की कंपनियों (टीसीएस) ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। टाटा समूह की प्रमुख कंपनी टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज या टीसीएस ने एनसीएलएटी के उस आदेश को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है, जिसमें साइरस मिस्त्री को कंपनी का निदेशक बनाया गया था।

टाटा संस के मानद चेयरमैन और शेयरधारक रतन टाटा ने भी सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करते हुए कहा है कि एनसीएलएटी का फैसला गलत है, क्योंकि यह टाटा संस को दो समूहों की कंपनी के रूप में देखता है। उन्होंने दलील दी कि मिस्त्री को उनकी पेशेवर क्षमता को देखते हुए टाटा संस का कार्यकारी चेयरमैन बनाया गया था, न कि टाटा संस में 18.4 फीसदी हिस्सेदारी रखने वाले शापूरजी पलोनजी समूह के प्रतिनिधि के रूप में। टाटा ट्रस्ट के पास टाटा संस की 65.89 फीसदी हिस्सेदारी है और कई वर्षों से रतन टाटा इसके चेयरमैन बने हुए हैं। याचिका में कहा गया, एनसीएलएटी के आदेश में गलत तरीके से संकेत किया गया है कि 'एसपी समूह के किसी शख्स को कुछ अधिकारों या परंपरा के तहत निदेशक नियुक्त किया गया था।'

 
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